Bord And Pillar Mining Method 

In this post, we cover bord and pillar mining method definition, working Process, diagram with PDF in Hindi Language. also bord and pillar development, depillaring, advantages, and disadvantages.

भारत की अधिकतर mines में bord and pillar method से ही कार्य किया जाता है, इसमे 2 चरणो में कार्य होता है, development, depillaring । इसमे coal को उसके incubation period के पहले निकालने के लिए panel system का उपयोग किया जाता है जिससे खदान के एक area से सम्पूर्ण खदान प्रभावित नहीं होती ओर बाकी स्थानो का करी सुगमता से चलता रहता है । 



In this Order
  • Bord and pillar Explanation
  • Bord and pillar Applicable Conditions
  • Classification of Bord and pillar method
  • Bord and pillar Working Method
  • Bord and pillar Advantages
  • Bord and pillar Disadvantages
  • Bord and pillar PDF
bord-and-pillar-method-pdf
bord-and-pillar-diagram-by-mining-papa


Bord and Pillar Explanation

इस पोस्ट में हमने  bord and pillar mining method definition, working Process, diagram इन सभी का  PDF यह सभी जानकारी bord and pillar in hindi भाषा में इसके अलावा bord and pillar development, depillaring, advantages and disadvantages का वर्णन आपको मिलेगा । 
coal या minerals का excavation, normally 2 विधियों से होता है ।  

  • 1st opancast method
  • 2nd undergound method 

जो seam कम depth में होती है उनका excavation, opancast method से किया जाता है ।  और जो अधिक गहराई में होती है । तो इस तरह के underground coal का excavation, underground method in से किया जाता है । विश्व में अधिकांश coal या minerals depth में पाए जाते है । 

                    underground mining में सबसे अधिक प्रचलित विधि है इस विधि में progress coal seam के साथ साथ आगे बढ़ती जाती है, और coal seam को coal pillars के रूप में काटते काटते board नुमा आकृति बनती जाती है इसलिए इसे bord and pillar method या room and pillar method कहा जाता है ।

 इसमे जो pillar कुछ इस तरह छोड़े जाते हैं कि वह एक support the roof कि तरह कार्य करें।  जो ऊपर से आने वाले pressure को सहन कर सके । इसमे bords या room बनाकर extracting coal की प्रक्रिया को development कहते है।  यह process वहाँ तक की जाती है जहां तक coal का extraction करना है ।



 उसके बाद seam के आखिरी point से जहां तक development हो चुका है वहाँ से Depillaring की शुरुवात होती है इसमे जो pillar, development के समय बनाए गए थे उनका extraction चालू होता है । इन pillar को काटकर निकाल लिया जाता है । जिससे यह method complete हो जाती हैं। 

coal का percentage of extraction यानि coal seam का कितना भाग निकाला जा सका यह depillaring पर निर्भर करता है यदि depillaring मे अधिक मात्रा में coal निकाला जा सका तो extraction काफी अच्छा होता है । 
नहीं तो roof condition, geological disturbance जैसी समस्याओं के कारण कई बार coal pillar बहुत कम मात्रा में extraction हो पाता है । 

Bord and Pillar Applicable Conditions:-

किन परिस्तथियों में इनका उपयोग किया जा सकता है । 
1.  1.5 मीटर से अधिक एक मोटी seam में । 
2.  stone or dirt bands से मुक्त सीम में । 
3.  seam जो मध्यम गहराई पर हो । 
4.  gassy seam ना हो । 
5.  Strong Roof और Floor होना चाहिए । 
6.  coal की crushing strength अच्छी हो । 

Classification Of Bord and Pillar Mining System

  1.   सबसे पहले coal seam में pillar बनाए जाते हैं ।  
  2.  उन्हे panel बनाकर कर devide किया जाता है । 
  3.  panel का निर्धारण कोल के incubation period के आधार पर किया जाता है । 
  4.  इन panels को depillaring कर निकाला जाता है । 

Bord and Pillar Working Method:-

भूमिगत खान-जहां सीम कम गहराई पर है, वहां सीम तक पहुंचने के लिए Incline खोदा जाता है, जहां अधिक गहराई पर है वहां चानक (shaft) खोदा जाता है। खान चाहे shaft से खोली जाए या incline से mining का तरीका एक ही तरह का होता है। 



सीम तक पहुंचकर main road चलाए जाते हैं और उनसे pannel बनाए जाते हैं। सामान्यतः development ऊपर की सीम से शुरु करते हैं और फिर क्रमश: नीचे की सीम में। coal seam  में चलाए गए रास्ते को सूंध या गैलरी (gallery) कहते हैं। 


gallery जब लेवल दिशा में चलाया जाता है तो उसे लेवल सूंध (level gallery) कहते हैं। सूंध सीम के डिप दिशा में चले तो उसे डिप सूंध (dip gallery) कहते हैं। लेवल जब डिप की उल्टी दिशा में चलाया जाए तो उसे राइज सूंध या राइज गैलरी (rise gallery) कहा जाता है। 
             gallery एक दूसरे से कुछ दूरी पर चलाए जाते हैं। उनके बीच में छूटे कोयले के ठोस भाग को पिलर (pillar) कहते हैं।
 बोर्ड और पिलर method में mining का कार्य दो चरणों में होता है, 

  • Development
  • Depillaring

Development

 डेवलपमेन्ट-सीम में लेवल तथा डिप-राइज रास्ते (या गैलरी) चलाकर पिलर बनाने के कार्य को डेवलपमेन्ट (development) कहते हैं। यह कार्य खान की सीमा तक किया जाता है। डेवलपमेन्ट करते समय 5-6 गैलरियों को पैनल लेकर अलग-अलग भाग बनाए जाते हैं। 
       इन panels को एक दूसरे से अलग करने के लिए जिनके बीच सॉलिड coal barrier बनाए जाते हैं, इन barrior को pannel barrior कहते हैं। barrior का size एक pillar चोड़ाई का होता है । 

Depillaring

जिस panel का development हो चुका है, उसमें अब खान की सीमा की तरफ से कोयले के पिलर कटाई का काम करके कोयला निकाला जाता है। इसे डीपिलरिंग (depillaring) कहते हैं। पिलर का कोयला काटकर यदि चाल (roof छत) गिरने दी जाती है तो उसे केविंग (caving) के तरीके से डीपिलरिंग कहते हैं।
       यदि खाली जगह में बालू (sand) भर दी जाती है तो उसे स्टोविंग के तरीके से डीपिलरिंग कहते हैं। एक पैनल की डीपिलरिंग पूरी हो जाने पर उसके रास्तों में ईंटों की गांथनी (stopping) बनाकर panel सील कर दिया जाता है, 
नहीं तो उसके अंदर छूटे हुए कोयले में स्वतः दहन (sponteneous heating) से आप से आप आग लग जाती है।एक के बाद एक पैनल काटते हुए shaft या incline तक पहुँचते हैं। इस प्रकार खान का कोयला निकाल लिया जाता है। भारत में अधिकतर खानों में कोयला board and pillar method से ही निकाला जाता है।

Bord and Pillar Advantages:-

1) रास्ते और हवामार्ग ठोस कोयले में होते हैं उनके safety कम पैसा यानि cost effective खर्च करना पड़ता है.
2) Development निर्माण करते समय कोयला उत्पादन होता है, Depillaring के समय तो कोयला उत्पादन होता ही है । 
3) unproductive work नहीं करने पड़ते, जैसे कम मोटाई वाली seam में फर्श का पत्थर खोदकर पर्याप्त ऊंचाई के रास्ते बनाना, आवश्यक नहीं होता है ।
longwall mining में ऐसा करना पड़ता है क्यूकी यह अधिकतर कम मोटाईवाली seams में अपनायी जाती है, ऐसे unproductive work अनिवार्य हैं.
4) Development के दौरान geological disturbance का पता लगने से खान का नियोजन करना आसान होता है। 
5) कोयले के face में काम करनेवाला दल छोटा होता है जिससे कम underground space लगता है, उसके काम का हिसाब रखने में और भुगतान करने में सुविधा होती हैं.
6) surface की रेल्वे लाइनें, इमारतें, नदियां, जैसी महत्त्व की रचनाएं, के पास coal seam होने पर यह विधि उपयुक्त होती है क्यूंकी इसमे इन सभी को बिना नुकसान पहुंचाए आसानी से कार्य किया जा सकता है ।
खान के development के समय कोयले के ठोस पिल्लर के कारण अच्छी तरह आधारित रहती हैं। depillaring के दौरान, यदि sand stowing संभव न हो, तो pillars से पर्याप्त मात्रा में कोयला निकालकर, उन्हें आधार के लिए छोड़ दिया जाता है। 

Bord and Pillar Disadvantages:-

1) longwall method की तुलना में इस method में ventilation शिथिल रहता है.
2) अन्य mining methods की तुलना में इस पद्धति में excavation के समय कोयले का नाश अधिक होता हैं.
3) अनेक working face होते हैं इसलिए inspection में असुविधा होती हे.
4) अत्याधिक deep mines में roof pressure इतना बढ़ जाता है कि इस method से mining करना कठीन होता है , floor Heaving और roof का झुकाव कभी-कभी इतना होता है कि कम ऊंचाई के कारण रास्ता काम के लिए उपयुक्त नहीं रहता है.
5) Support के परिणामों का और निकट के संस्तरों पर होनेवाली परिणामों का अंदाज लगाना कठिन होता हैं ।

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49 Comments

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  1. Ha PDF chahiye pradeepkumarshah6261772589@gmail.com

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  2. Pdf
    jatashankarnishad1987@gmail.com

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  3. Pdf patelpankaj6232@gmail.com

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  4. I want information about mining from sir this pdf will help me a lot.

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  5. Bheo na sir ashutosh me CT hai hamari 6 ko please Hindi m

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  6. Pdf
    bhagyawanbhagat24@gmail.com

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  7. Pdf ghalder00@gmail.com

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  8. rajputsatyam5101997@gmail.com

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